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राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी इंद्रा रोजी-रोटी के लिए कर रही संघर्ष

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” हिमाचल प्रदेश की राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी इंद्रा, जो छह बार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा माने चुकी हैं, आज रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रही हैं। इंद्रा, जिन्होंने 11 साल की उम्र में ही पहला राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेला था, अब नाहन में फास्ट फूड की दुकान चला रही हैं”

राष्ट्रीय बास्केटबॉल प्रतियोगिताओं में राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, नागपुर और छत्तीसगढ़ जैसे स्थानों पर हिस्सा लेने वाली इंद्रा ने हिमाचल सरकार से नौकरी की आस लगाई थी। हालांकि, जब उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर नाहन के गुंनुघाट में फास्ट फूड की दुकान शुरू की।

इंद्रा ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी का प्रावधान होना चाहिए ताकि उन्हें सम्मान मिले और वे आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन सकें।”

यह घटना यह दर्शाती है कि सरकार द्वारा खिलाड़ियों को नौकरी देने के दावे सच में कितने प्रभावी हैं। इंद्रा जैसी खिलाड़ी आज भी नौकरी की उम्मीद लगाए बैठी हैं, और सरकार को ऐसे खिलाड़ियों की स्थिति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।