योगी सरकार ने DGP चयन में दी स्वतंत्रता, नई नियमावली को मंजूरी
“यूपी में DGP चयन की नई नीति: क्या होगा कानून व्यवस्था पर असर?”
योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में पुलिस प्रमुख (DGP) के चयन के लिए नियमों में बदलाव करते हुए नई नियमावली को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार अब अपनी पसंद के अनुसार DGP की नियुक्ति कर सकेगी, जिससे पुलिस प्रशासन पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा।
नई नियमावली: क्या हैं बदलाव?
उत्तर प्रदेश कैबिनेट द्वारा पारित नई नियमावली के अनुसार, राज्य सरकार को अब DGP पद के लिए केंद्र द्वारा भेजी गई तीन वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों की सूची में से अपने अनुसार किसी भी अधिकारी को चुनने का अधिकार होगा। इससे पहले यह चयन प्रक्रिया अधिकतर वरिष्ठता पर आधारित होती थी, जिसमें राज्य के पास चयन की सीमित स्वतंत्रता होती थी। अब इस नए नियम के तहत सरकार के पास पुलिस प्रमुख चुनने का लचीलापन होगा।
राज्य की कानून व्यवस्था पर असर
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर दबाव रहा है, और पुलिस प्रशासन पर सीधा नियंत्रण रखने की कोशिशें की गई हैं। इस नई व्यवस्था के बाद सरकार उम्मीद कर रही है कि अपने अनुसार DGP की नियुक्ति करने से कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, क्योंकि वह अधिकारी सरकार की प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बैठाने में अधिक सक्षम होंगे।
विपक्ष और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
हालाँकि सरकार का मानना है कि इससे राज्य में बेहतर कानून व्यवस्था बनाई जा सकेगी, लेकिन विपक्षी दलों और कुछ प्रशासनिक विशेषज्ञों ने इस कदम की आलोचना की है। उनके अनुसार, इस निर्णय से DGP की नियुक्ति में निष्पक्षता कम हो सकती है और पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल बढ़ सकता है। उनका मानना है कि वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया को बरकरार रखना आवश्यक है ताकि पुलिस प्रशासन में एक निष्पक्ष और तटस्थ रवैया कायम रह सके।
क्या हैं संभावित फायदे और चुनौतियाँ?
नई नियमावली सरकार को अधिक नियंत्रण देती है, जिससे उम्मीद है कि कानून व्यवस्था में सुधार होगा। खासकर, किसी विशेष परिस्थिति में सरकार के मनमुताबिक पुलिस प्रमुख का चयन करना अधिक आसान होगा। लेकिन यह भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे पुलिस प्रशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप का खतरा बढ़ सकता है, जो कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।