NationalNewsTop News

यूं ही कोई रतन टाटा नहीं हो जाता: मुंबई आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए किया ऐसा काम जो सिर्फ महामानव ही कर सकता है

Spread the love

रतन टाटा, जिन्हें भारत में उद्योग जगत का स्तंभ माना जाता है, सिर्फ एक सफल कारोबारी ही नहीं बल्कि एक संवेदनशील और दयालु व्यक्ति भी हैं। उन्होंने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के दौरान और उसके बाद जो किया, वह केवल एक महान इंसान ही कर सकता है। इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे और कई जिंदगियां तबाह हो गई थीं, लेकिन रतन टाटा ने इन पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए जो मदद की, वह मिसाल बन गई।

मुंबई आतंकी हमले के बाद रतन टाटा का योगदान

26/11 के हमले में टाटा ग्रुप का प्रतिष्ठित ताज होटल भी आतंकियों के निशाने पर था। होटल के कर्मचारियों से लेकर सुरक्षा कर्मियों और मेहमानों तक कई लोग इस हमले में मारे गए या घायल हुए थे। रतन टाटा ने हमले के तुरंत बाद, न केवल होटल को फिर से खड़ा किया, बल्कि हमले के शिकार हुए लोगों और उनके परिवारों की मदद के लिए व्यक्तिगत रूप से आगे आए।

उन्होंने हमले के पीड़ितों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की। चाहे वह आर्थिक मदद हो, बच्चों की शिक्षा हो या पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था, रतन टाटा ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी मदद से वंचित न रहे। यह सब बिना किसी प्रचार या सार्वजनिकता के किया गया, जो उनके महान व्यक्तित्व की गवाही है।

कर्मचारियों की देखभाल

रतन टाटा ने होटल के उन कर्मचारियों को भी व्यक्तिगत रूप से सांत्वना दी, जो इस हमले के दौरान शहीद हुए थे। उन्होंने पीड़ित कर्मचारियों के परिवारों को आजीवन वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान कीं, ताकि वे भविष्य में किसी भी प्रकार की आर्थिक तंगी से न जूझें। इतना ही नहीं, उन्होंने हमले के दौरान जान बचाने वाले होटल के कर्मचारियों को विशेष मान्यता और पुरस्कार भी दिए।

मानवीय दृष्टिकोण की मिसाल

रतन टाटा का यह मानवीय दृष्टिकोण उनकी महानता का प्रमाण है। उन्होंने बार-बार यह साबित किया है कि एक सच्चे नेता की पहचान सिर्फ उसकी व्यावसायिक उपलब्धियों से नहीं होती, बल्कि उसकी इंसानियत और समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी से होती है। मुंबई हमले के पीड़ितों की मदद से उन्होंने दिखाया कि वो सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान हैं जो दिल से हर एक जीवन की परवाह करते हैं।