तस्लीमा नसरीन ने कमला हैरिस की राष्ट्रपति बनने की उम्मीदों पर दी अहम राय
“कमला हैरिस और मैरिटल रेप: तस्लीमा नसरीन ने उठाए गंभीर सवाल”
तस्लीमा नसरीन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कमला हैरिस के राष्ट्रपति बनने की राह में आ रही मुश्किलों को लेकर अपनी राय दी और साथ ही मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी महत्वपूर्ण बातें साझा की। तस्लीमा ने कमला हैरिस की राष्ट्रपति बनने की उम्मीदों को लेकर कुछ अहम कारण बताए, जिनकी वजह से वह अब तक अमेरिका की राष्ट्रपति नहीं बन पाईं।
कमला हैरिस को लेकर तस्लीमा का बयान
तस्लीमा नसरीन का मानना है कि कमला हैरिस की राष्ट्रपति बनने की राह में सबसे बड़ी चुनौती उनकी जाति और लिंग से जुड़ी पूर्वाग्रह (prejudices) हैं। तस्लीमा ने कहा कि अमेरिका की राजनीति में जो समाजिक मान्यताएं और परंपराएं हैं, उनका असर अभी भी वहां की चुनावी प्रक्रिया पर पड़ता है। नसरीन का कहना है कि जहां कमला हैरिस एक काबिल नेता हैं, वहीं उनके खिलाफ लिंग और जातिवाद का भेदभाव अभी भी मौजूद है, जो उनकी राष्ट्रपति बनने की उम्मीदों को कुंद करता है।
नसरीन ने यह भी कहा कि अमेरिकी राजनीति में जहां पुरुषों का दबदबा है, वहीं एक काले और महिला के लिए शीर्ष पद तक पहुंचने की यात्रा और भी कठिन हो जाती है। उनका यह भी मानना था कि अमेरिका की पुरानी राजनीति में महिलाओं की भूमिका अभी भी सीमित है और इसका सामना कमला हैरिस को करना पड़ा है।
मैरिटल रेप पर तस्लीमा का बड़ा बयान
तस्लीमा नसरीन ने अपने साक्षात्कार में मैरिटल रेप (मैरीड रिलेशन में बलात्कार) को लेकर भी अपनी मजबूत राय रखी। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है, जिसे समाज में अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। तस्लीमा ने बलात्कार के खिलाफ लड़ाई की अहमियत को स्वीकार किया और यह भी बताया कि महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा को लेकर समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की जरूरत है।
उनका मानना था कि मैरिटल रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है। तस्लीमा ने कहा कि जब एक व्यक्ति शादी के बाद अपने साथी के साथ हिंसा करता है या उसे यौन शोषण का शिकार बनाता है, तो यह किसी भी परिस्थितियों में स्वीकार्य नहीं हो सकता।
कमला हैरिस के संघर्ष की स्थिति
हालांकि कमला हैरिस अभी अमेरिका की उप-राष्ट्रपति हैं, लेकिन उनका सफर राजनीति में बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए भी अपनी दावेदारी पेश की थी, लेकिन जो बाइडन के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा और कुछ अन्य कारणों से उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी।
बदलाव की उम्मीद
तस्लीमा ने यह भी कहा कि कमला हैरिस जैसे नेताओं की जीत ही असल में समाज में लिंग और जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ एक बड़ी सफलता होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में ऐसी नेताओं को अधिक समर्थन मिलेगा और समाज में भी महिला सशक्तिकरण के प्रति सकारात्मक बदलाव आएगा।
तस्लीमा का यह इंटरव्यू महिलाओं के अधिकारों, मैरिटल रेप, और समाज में बदलाव की आवश्यकता को लेकर एक गंभीर चर्चा का कारण बन सकता है।