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जयपुर : पेरिस ओलंपिक में जयपुर की बेटियों ने प्रतिभा का लोहा मनवाया

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जयपुर की बेटियों की अद्वितीय सफलता: अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल का प्रेरणादायक सफर

जयपुर की दो बेटियों ने दुनियां के सामने अपनी अद्वितीय प्रतिभा का लोहा मनवाया है । अगर बात की करे तो अवनी लेखरा ने पेरिस ओलंपिक में निशानेबाजी में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में जीत हासिल कर स्वर्ण पदक जीता हैं ।

इससे पहले भी अवनी ने साल 2020 में टोक्यो गोल्ड मेडल और एक ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं ।आपको बता दे की साल 2012 में अवनी लेखरा एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद, भी अपने सपनों को नहीं छोड़ा ।

अवनी ने साल 2015 से ट्रेनिंग शुरू की और पहली बार उन्होंने राजस्थान स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. इस चैंपियनशिप में अवनी का प्रदर्शन शानदार रहा और उन्होंने पहली प्रतियोगिता में ही गोल्ड पर निशाना साधा. साल 2016 से लेकर 2020 तक अवनी ने नेशनल चैंपियनशिप में 5 गोल्ड जीतकर आज वे विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं।

पिछले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, अवनी ने पेरिस में भी अपना जलवा दिखाया । वर्ष 2022 के में विश्व कप में उन्होंने दो गोल्ड जीते । साल 2022 में पैरा एशियाई खेलों में भी अवनि ने जीत हासिल कर स्वर्ण पदक जीता है । इन प्रतिभाओ को देखते हुए अवनी को पद्म श्री और खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

जयपुर की बेटी मोना अग्रवाल की बात करें तो उन्होंने अपने पहले ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। उनकी यह उपलब्धि दर्शाती है कि जयपुर और राजस्थान में खेल प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

भारत के लिए पैरा ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली मोना अग्रवाल की कहानी काफी प्रेरणादायी है। एथलीट मोना अग्रवाल ने काफी संघर्ष से यह मुकाम हासिल किया है । पोलियो के संक्रमण ने भले ही उनके चलने-फिरने में रुकावट डाली लेकिन उनके हौसले को रोक नहीं पाई । 37 वर्षीय मोना अग्रवाल की रुचि एथलेटिक्स में रही । पहले वह शॉटपुट, डिस्कस, जेवलिन थ्रो में हाथ आजमाना चाहती थीं लेकिन बाद में उन्होंने शूटिंग में करियर बनाने का फैसला किया ।

साल 2022 में एशियाई पैरा खेलों और लीमा में साल 2023 में डब्ल्यूएसपीएस चैंपियनशिप के जरिए पेरिस 2024 पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने का लक्ष्य रखा था । हालांकि, वह पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई ।

इसके बाद मोना ने नई दिल्ली में आयोजित हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप 2024 में सफलता हासिल की। इसमें उन्होंने 250.7 का कुल स्कोर दर्ज करके स्वर्ण पदक जीता था । जिसके बाद मोना ने पेरिस पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया ।


इन दोनों खिलाड़ियों की सफलता से जयपुर और राजस्थान के युवाओं में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार हुआ है। अवनी और मोना की जीत से यह साबित होता है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत की जाए, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

इन दोनों खिलाड़ियों की सफलता से यह भी साबित होता है कि पैरालंपिक खेलों में भारत की प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमें उम्मीद है कि अवनी और मोना की जीत से और भी युवा खिलाड़ी प्रेरित होंगे और पैरालंपिक खेलों में अपना करियर बनाएंगे ।