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उमर अब्दुल्ला ने अटल बिहारी वाजपेई की कश्मीर नीति की सराहना की

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“वाजपेई की नीतियों से कश्मीर में शांति होती”: उमर अब्दुल्ला का बयान

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जमकर तारीफ की और कहा कि अगर वह आज जिंदा होते, तो जम्मू-कश्मीर की स्थिति बिल्कुल अलग होती। उमर ने वाजपेई के दृष्टिकोण और उनके कश्मीरी मुद्दे को लेकर कृतज्ञता और सम्मान की भावना को साझा किया, जिससे विधानसभा में मौजूद सभी लोग प्रभावित हुए।

उमर अब्दुल्ला का बयान

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बोलते हुए कहा, “अटल बिहारी वाजपेई एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने हमेशा कश्मीरी लोगों के हितों की चिंता की थी। उनकी नीतियां हमेशा समावेशी और शांति की ओर अग्रसर थीं। यदि वह आज जिंदा होते, तो जम्मू-कश्मीर की स्थिति बहुत बेहतर होती।”

उन्हें यह भी लगता है कि वाजपेई की नीति और दृष्टिकोण के तहत राज्य में शांति और स्थिरता लाई जा सकती थी। उमर ने यह भी कहा कि वाजपेई ने हमेशा संवाद और सुलह की बात की, न कि संघर्ष और हिंसा की। उनके शासनकाल में जम्मू-कश्मीर में बड़े बदलाव हुए थे और राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने के बावजूद वे हमेशा एकता और शांति की दिशा में अग्रसर थे।

अटल बिहारी वाजपेई की कश्मीर नीति

उमर अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई की कश्मीर नीति को सशक्त बताया, जिसमें कश्मीरियों से संवाद स्थापित करने और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने का जोर दिया गया था। उन्होंने वाजपेई के कश्मीर शांति प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ भी शांति प्रक्रिया को बढ़ावा दिया, और 2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास निर्माण उपायों की शुरुआत की थी।

वर्तमान सरकार पर आलोचना

उमर अब्दुल्ला ने वर्तमान केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर भी निशाना साधा और कहा कि आज कश्मीर की स्थिति बहुत बदल चुकी है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह अटल बिहारी वाजपेई के दृष्टिकोण को अपनाए और जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता लाने के लिए कश्मीरियों के साथ संवाद शुरू करे।

वाजपेई की विरासत

उमर ने यह भी कहा कि अटल बिहारी वाजपेई का योगदान केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारत की अखंडता और विविधता को संजोने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी भाषा, राजनीति और नेतृत्व शैली ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक अडिग स्तंभ बना दिया।